SEBI ने F&O के नियम किए सख्त, 20 नवंबर से होंगे लागू |
SEBI ने फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) पर एक नया सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर के अनुसार फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) से जुड़े नए नियम 20 नवंबर से लागू होगे | इन नए नियमों से छोटे (retail) ट्रेडर्स बड़े नुकसान से बच पाएंगे सेबी ने इंडेक्स वायदा के कॉन्ट्रैक्ट साइज अप फ्रंट प्रीमियम एक्सपायरी के नियमों में बदलाव किया है
प्रति एक्सचेंज एक वीकली एक्सपायरी होगी।
1 फरवरी 2025 से ऑप्शन के खरीददार को अपफ्रंट प्रीमियम देना
होगा फिलहाल अपफ्रंट प्रीमियम ऑप्शन सेलर (बेचनेवाला) देता था।
अब खरीददार को भी पूरा प्रीमियम अप फ्रंट देना होगा इस फैसले से
छोटे ट्रेडर्स बड़े दांव नहीं लगा पाएंगे। जिससे छोटे ट्रेडर के नुक़सान में कुछ कमी आने का अनुमान है
तथा NSE तथा BSE दोनों एक्सचेंज प्रति सप्ताह एक ही एक्सपायरी रख सकते हैं। जो कि अभी देखा जाए तो रोज एक एक्सपायरी होती है
कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाया गया
सेबी के नए सर्कुलेशन के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट साइज जो अभी 5 से 10 लाख रुपए का है। को बढ़ाकर 15 से 20 लाख रुपए का कर दिया जाएगा यह नियम भी 20 नवंबर से लागू हो जाएगा कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाने से ट्रेडर्स को पोजीशन लेने के लिए ज्यादा पैसा लगाना होगा इससे वह कम लाॅट में ट्रेड कर पाएंगे
कैलेंडर स्प्रेड का फायदा भी होगा खत्म
नए नियमों के तहत 1 फरवरी 2025 से कैलेंडर स्प्रेड का फायदा भी खत्म हो जाएगा | जिससे एक्सचेंज और ब्रोकर का बिजनेस प्रभावित होगा | कैलेंडर स्प्रेड के तहत अलग-अलग एक्सपायरी में अपोजिट पोजीशंस ली जाती है। 1 अप्रैल 2025 से पोजिशन लिमिट की इंट्रा-डे मॉनिटरिंग होगी
छोटे ट्रेडर्स का नुकसान होगा कम
सेबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) में करीब 93% ट्रेडर्स को नुकसान हुआ जिसमें अधिकतर छोटे (retail) ट्रेडर्स ही है। नए नियम के अनुसार छोटे (retail) फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) ट्रेडर्स को नुकसान से बचाया जा सकेगा। कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़ाने से भी फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) में छोटे (retail) ट्रेडर्स की भागीदारी कम होगी
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